॥कुछ शायरीयां॥
बडे पेडों का छाँव रहे सदावहार जवानी बनी रहे।
मै ययावर हूँ यारों वसुधैव कुटुम्बकं मेरा 'जीवन'
यही पन्थ रहे मेरा, मै जहाँ रहूँ एक निशानी बनी रहे ।
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अफवाहों का हि सारा जहाँ हैं
छोड कर भी तो जना हि काहाँ है
अधुरी है ख्वाहिसें तेरे जीवन
उन्हें आधे मे छोडुँ यह भी तो गुनाह है
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यूँ तो यादों की वारीश में भी सावन हि है
अपनों का यहाँ से दूर दरे यादों की है।
तौहीन ना हों यारों आप दिल में हो 'जीवन'
दरिया नीरों का पार भी पाया तैरकी सी है।
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कि रुसवाइओं कि क्या? खफा क्यों?
चेहरे के सियाहीयां ही हो दफ़ा क्यों?
होने दो ख़फा उन नासझोंको 'जीवन'
कोई दिमाग में रखता है, वेवफ़ा क्यों?
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वो तेरी ख्वाहिशें कितनों के साथ चलेगी
क्यों दगा देते हो? सारें जाहाँ बात चलेगी।