Wednesday, January 10, 2018

कविता

      कविता(सलील भावनाएं )


                      मेरे द्वारा लिया गया फोटो
 मेरी भवानाएं
मुझ से रूठ गईं
मै नशे में हूँ
मुझे कह गईं
करूँ प्रतिक्षा
खुमारी तब था
अब बेबस हूँ
मेरी ही स्याही
मुझे पोत गईं
हूँ अभी अवाक
.
हाँ और भी है कहने को
फिर रात भर उदासी
और प्रतिपल की परिक्षा
हमेशा अनुत्तिर्ण रहा हूँ
क्यों अाशा अब करने लागा
.
सुनो यह रात कि खुमारी है
हाँ मै नशे में हूँ अभी भी
मेरा मानस पटल विक्षिप्त है
खुमारी अभी चढ़ा है
नशा और बढा रहा हैं
रातों ने भी न बिबश किया है
प्यालों ने रङ्ग जमाया है.
और प्रणय का गीत गाया है.
बाद नशे के होश में अया
उगते सुर्य से कुमुदिनी
लज्जित रक्ताभ हुई
मैने भी आभा पाया है॥

~©विष्णु शर्मा (भिक्षु जीवन)
      Bishnu Sharma   

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